ये लिखने की कला है
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HINDI POEM |
कुछ लिखने के लिए वक़्त की नहीं
खयालो की जरुरत होती है जनाब
खयालो से काम नहीं चलेगा
सोचना भी मुनासिफ है ,
सोचने से काम नहीं चलेगा जनाब
उस सोच पर काम भी
करना पड़ेगा , जनाब
काम करने से क्या होगा जनाब
वक़्त भी निकालना पड़ेगा
वक़्त का क्या है जनाब ,
जाने के बाद आता ही नहीं वो दिन
लिखने के लिए कलम की नहीं
सोच की जरुरत है जनाब,
कभी -कभी हमारे चारों ओर
चल रहे हलचल हमे
अंदर से कचोटते है ,
फिर'भी हम ये कहकर
छुटकारा पा लेते है की
हमे किसी से कोई फ़र्क
नहीं पड़ता ,
"फ़र्क नहीं पड़ता "यह कहना
भी बहुत बड़ी बात है ,
क्योकि फ़र्क तो हमे जनाब
एक पानी की बूंद से भी
पड़ता है ,
कुछ लिखने के लिए
कलम की नही ..........
-शैफाली
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