एक नारी का सफ़र....

एक नारी का सफ़र
एक नारी का सफ़र
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सफ़र तो उस दिन ही मेरा
शुरू हो गया  था  जिस 
दिन मैने  नारी बनकर 
जन्म लिया  था ,
नारी होने की सज़ा भी 
मुझे  मिलनी  ही थीं 
ना भी मिलती तो क्या 
समाज तो है ही सज़ा 
देने के  लिये ,
कभी अपने हक़ के 
लिए आवाज़ उठना ,
कभी पढ़ने के लिए  तो 
कभी डिग्री के लिए ,
एक नारी होने की सज़ा 
हर उस  औरत से  पूछो 
जो इस सज़ा  को पूरी 
जिंदगी झेलती है 
बिन कुछ कहे ,
लेकिन अब और  नहीं 
ये एक नारी की पुकार  है 
नारी होना सम्मान है "मेरा "
आज़ादी से जीना अभिमान है"मेरा "
सपनों को जीना हक़ है"मेरा "
क्योकि नारी  होना 
अभिमान है"मेरा "... 

                      -शैफाली