वो स्कूल की यादे
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वो स्कूल की यादे |
आज भी मुझे याद है
अपना ना चाहते हुए भी
सुबह उठकर स्कूल जाना ,
और स्कूल जाकर
अपने दोस्तों से मिलना
कभी -कभी "लेट कमर्स "
मे खड़े होकर मुँह बनाना
टीचर पढ़ा रही होती थी
और हम, डेस्क के नीचे
चुपके -चुपके खाना खा
रहे होते थे ,
खाली पीरियड मे
बाते करना ,
किसी दूसरी टीचर के
आने पर मुँह बनाना ,
और टीचर के ना आने
पर मौज मनाना ,
दोस्तों के साथ
शरारत करना और
रूठना -मनाना ,
छुट्टी से पहले घर
जाने के लिए बैग
पैक करना ,
ना चाहते हुए भी
कभी -कभी नाटक करना ,
सभी टीचर्स'को अलग -अलग
नाम देना ,
और खुद को
इंटेलीजेंट समझना ,
लड़कों को चुपके से
देखकर उनका मज़ाक बनाना ,
मुझे याद है मेरे रूठ
जाने पर उन दोस्तों
का मुझे मनाना ,
बीमार होने पर दोस्तों
का कॉल घर पहुँच जाना ,
स्कूल की छुट्टी करने
पर डॉट सुनना ,
याद है मुझे वो
स्कूल के दिन।
-शैफाली
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