कुछ नहीं है  मेरा .....

कुछ नहीं है  मेरा

कुछ नहीं है  मेरा

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एक  नारी होना  सम्मान  है  मेरा 
सबसे प्यारी  होना अभिमान  है  मेरा 
बस अफ़सोस है  मुझे, 
कहे  ना  लोग  बेचारी 
नारी को  कमज़ोर  समझ 
दुनिया कहे  उसे  बेचारी ,
मैं आज  तक समझ  नहीं पाई 
नारी क्यों हुई दुनिया 
से  परायी ,
बचपन मे पिता  का नाम जुड़ा 
बड़े  हुए तो घर  छूटा ,
और' फिर  पति  का  नाम' मिला
एक नारी ना  मायके की 
ना रही ससुराल  की ,
यहाँ तक की उसकी मॉँग  मे  
भी सिंदूर किसी और का',
एक नारी के  चरित्र  पर 
क्यों फिर भी उँगली  उठी ,
क्यों हर बार वो खुद को 
साबित  करे ,
अब समझ  मे  आया 
कुछ  नहीं है  नारी तेरा ,
अब तो ये देह  भी 
छोड़  चला  मुझे ,
अब समझ  मे  आया ,
कुछ  नहीं है  नारी  तेरा। 
                             
                                  -शैफाली