वो बचपन की यादे ....

वो बचपन की यादे
वो बचपन की यादे 
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वो बचपन  की यादे 
नन्ही- सी पुकारे 
वो छुप -छुप  कर हसना  
वो सपनो मे खोना ,
नन्हे लम्हे कही  खो गये  है मेरे 
वो हसना -रोना 
हल्के से  मुस्कुराना 
नन्हे हाथों  से  शरारते करना 
कहा  खो गए  है मेरे ,
वो आटे की  गोलियों  से 
खिलौने  बनाना
आज स्मार्टफोन  चलाते  है ,
वो मिट्टी  मे  खेलने  की यादे 
आज  हाथ गन्दे  होने 
का डर  अपनाते  है ,
कल तक  सब अपना 
कहती  थी मैं 
आज पराया धन  कहलायी 
बचपन छूटा  ना जाने कब 
आज बड़ी  हो गई  मैं ,
ये  दुनिया की रीत 
कल तक समझ  ना 
आती  थीं  मुझे ,
आज  समझ मे आया 
वक़्त के  हाथों सब
चलते  गये  अपने  रास्ते ,
वो नन्हे  दिमाग़ की शरारते ,
आज कही दब गए  है मेरे 
ढूढ़ने से  भी नहीं मिला 
मेरा  बचपन ,
ना जाने कहाँ खो 
गया  है। 

             -शैफाली