क्यों हूँ मैं परायी ....
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क्यों हूँ मैं परायी |
क्यों हूँ मैं परायी
अब तक समझ ना पाई ,
जब तक समझ मे आया
तब तक बहुत देर हो गई भाई ,
सवालों के बादल नन्हे
दिमाग़ पर छाये ,
पूछते है अब तक
समझ ना आया
किसे कहते है पराया ,
पराये की परिभाषा तो
बेटियों से पूछो ,
जो जन्म लेते ही
हो जाती है परायी ,
कभी घर मे ,
कभी स्कूल मे
अब तो समाज
ने भी किया पराया ,
कहते है लोग हमे
मिला सम्मान का
अधिकार तुम्हे ,
मैं कहती हूँ ये बस
बोलने की बात है ,
अगर मिला होता
सम्मान का अधिकार
तो रात मे निकलने से
ना किया करते माना हमे ,
बेटों को आज़ादी है जब
तक चाहे पढ़ना ,
बेटियों को कहेगे २२
के बाद पढ़कर किया करना',
करोगे तो चूल्हा -चौका
लोग क्या कहेगे कहकर
मनवाई अपनी बात है ,
आज समझ मे आया
क्यों है बेटियां परायी।
- शैफाली
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