बाल मजदूरी....
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बाल मजदूरी एक मज़बूरी का
नाम है साहब ,
जो किसी का बचपन छीन
डालती है, हमेशा के लिए
जिस बचपन में बच्चों के
हाथों में किताबे व खिलौने
होने चाहिए ,
वो जिम्मेदारिया उठा
रहे है ,
इतने मासूम चेहरे पर
मुस्कराहट की एक लक़ीर
तक नहीं है ,
ऐसा लगता है जैसे
मुस्कुराना भूल गये हो ,
जिस उम्र में बच्चे बचपन
जीते है उस उम्र में वो
खुद की जिंदगी को कोस रहे है ,
करियर के बारे में सोचना
तो दूर की बात है ,
उन्हे स्कूल जाने का
भी मौका नहीं मिल रहा ,
कैसे लफ्जों में बताये ये
की "बाल मजदूरी "
एक मज़बूरी का
नाम है।
-शैफाली
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